Wednesday, August 26, 2015

उलझन




तुम्हें राम कहुं या श्याम
महांदेव कहुं या सद्गुरू
बहुत उलझन मे हुँ।
वही झील सी गहरी आँखे
वही नटखठ अदांए
वही टेढ़ा पन
वही भोला पन
वही श्यामल रंग
वही घुंघराले बाल
वही हाथी सी मस्त चाल
वही बच्चों सी खिलखिलहट
वही तेजस्वी रूप
बहुत उलझन मे हुँ।
तुम्हें राम कहुं या श्याम
महादेव कहुं या सद्गुरू
बहुत उलझन मे हुँ।
सुना है और तस्वीरों में देखा है
श्याम मोर मुकुट पहनते हैं
राम धनुष धारी हैं
महांदेव  सर्पों की माला से शशोभित हैं
मगर देखा है इन आँखो ने
सद्गुरू तो फूलो के हार पहनते हैं
रंग बिरंगें शाल  पहनते है
मुझे तो यह तीनो ही सद्गुरू मै नज़र आते हैं


--------मधुर---------------