Monday, July 6, 2015

सीवा तेरे सीवा तेरे


इस भरी दुनीया में मैंने नज़रें मिलाई भी 
नही किसी से।     ( सिवा तेरे सिवा तेरे)

टपकते हैं विरह के आँसु इन नयनों से 
भीगोते हैं चुनरी मेरी ,यह बात मैंने किसी को
बताई  भी नहीं।     (सिवा तेरे सिवा तेरे)

भोर होते ही जब पक्षी चहचहाते हैं
निद्रा से उठती हुँ तो कहीं
देखती भी नहीं।    (सिवा तेरे सिवा तेरे)

आँख जब से मिलाई है तुम से  जो सकुन
पाया है मन ने  यह राज किसी को 
बताया  भी वही ।   (सिवा तेरे सिवा तेरे)

------मधुर-------

नई बहार बन कर



आये हो मेरी जिंदगी मे तुम
एक नई बहार बन कर
ख़यालों मे खोई रहती हुँ
जमी पर पेर टिकते नही
आँखे बंद करती हुँ तो लगता है
हवा मै उड़ रही हुँ
एक नई बहार --------------

सूनी थी एक पतझड़ के बृक्षों की तरह
फूलो से भर गई हुँ ,
खशबु बिखेर रही हुँ
एक नई बहार----------------

उलझी थी दुनीया की भीड़ मे
अब अपने में खो गई हुँ
कभी रोती हुँ कभी हँसती हुँ
एक नई बहार ----------------

प्यासी थी सदियों से
समुंदर सा बन गई हुँ
लहरों से खेल रही हुँ
एक नई बहार ---------------
आये हो मेरी जिदंगी मे तुम
एक नई बहार -----------------

--------- मधुर-------------

एक भक्त की पुकार



तुम मेरी गली मे आना 

कभी राम बन कर कभी श्याम बन कर 
तुम मेरी गली मे आना 
कभी महांदेव बन कर कभी सद्गुरू बन कर 
तुम मेरी गली मे आना ,

मैं फूलों की सेज बिछाऊँ 
मै चंदन का टीका लगाऊँ
मैं घी का दीपक जलाऊँ
तुम मेरी ....................

मैं बसी की धुन पर गाऊँ 
मैं वीणा के तार हिलाऊँ
मैं मोरनी बन कर नाचुं
तुम मेरी...............

मैं फुलें का हार पहनाऊँ
मै रेशमी शाल ओढाऊं
मैं चरणों को धो धो पिऊँ
तुम मेरी.................

------मधुर--------

चरणों मे लगाये रखना



तुझ से मे  तुम्हें को मांगु , मुझे कभी ना मत करना
चरणों में लगाये रखना ,   मुझे कभी दूर मत करना

ना मांगु सोना चाँदी,   ना मागुं हीरे मोती
तेरा दीदार मांगु , मुझे कभी ना मत करना
चरणों मे------------------------------

दुखों मे तुझ को पायुं, सुखों मे तुझ को गायुं
तेरे नाम में रगं जायुं , मुझे क्भी ना मत करना
चरणों मे------------------------------

बिन माँगे सब कुछ पाया ,यह जीवन सफल बनाया
पुजारी बन के रहुं तेरे दर का ,मुझे कभी ना मत करना
चरणों मे --------------------------------

------------मधुर-------------------