Friday, April 10, 2020

फ़रियाद


कुछ तो तरस करो ,प्रभु कुछ तो तरस करो
सजते करते हुए दिन से हुई रात और रात से दिन
झोली फैलाए बैठी हुँ उम्मीद लगाए बैठी हुँ ।
कुछ तो तरस करो..............
नहीं देखा जाता लाचार डाक्टरों और नर्सों का हाल
जो अपनी जान पर खेल कर मरीज़ों को जांच रहे हैं।
कुछ तो तरस करो..............
नहीं देखे जाते वह लाशों के भरे बर्फ़ के ट्रक
जो बिना कफ़न ही दफ़नाये जा रहे हैं।
कुछ तो तरस करो.............
क्या भूल हुई हम सब से ,क्युं इतना ख़फ़ा हो गए
मौत के डर से है काँप रही सृष्टि सारी बेबस सब इन्सान हो गए।
कुछ तो तरस करो............
इस सृष्टि के मालिक तुम हो , कुछ कह भी नहीं सकते
मगर इनसानियत के नाते यह सब सह भी नहीं सकते ।
कुछ तो तरस करो..........
फ़रियाद करती है यह नाचीज़ ‘मधुर ‘
इस सृष्टि को शान्ति का वरदान बख़्शो ।

Tuesday, November 13, 2018

‘Cool’ सद्गुरू

मेरे सद्गुरू हैं सब से निराले 
बाल हैं उनके घुंघराले घुंघराले 
पहनते हैं रंग बिरंगे रेशमी शाल 
चलते हैं हाथी सी मस्त चाल
आँखें है उनकी दैवी नूर से भरी लाल लाल 
बोली है उनकी मोतीयों से माला माल ।
दिल में रहते हैं हमेशा वह मेरे 
लुटाते है दिवीयता का भरपूर ख़ज़ाना
हाथ जोड़ कर झुकाते हैं जब सिर आपना 
भर देते है सब की आँखों में  नीर ।
तरसते हैं सब उनकी एक झलक को 
बह धीरे से खिसक जाते हैं 
हो जाते हैं आँखों से ओझल
पर रहते हैं हमेशा दिल में समाये 
ऐसे ‘Cool’ है मेरे सदगुरु
सारे जग से हैं वह निराले 
सपनों में आँख मिचोली करते हैं 
भोर होते ही पंख लगा कर उड़ जाते हैं ।

Little stone

I was little stone of rock
Rolling here and there 
After countless kicks 
Came in Sadhguru’s feet 
Sadhguru looked at me 
With his loving passionate eyes ,
Touched me with his divine power 
And transferred me in a beautiful full flower
And dipped me in the divine fragrance.
Now I like to spread this in the whole world .
Thanks Sadhguru.

एक संदेश


          

















२००८ की घटना है ,वैलन गिरी की पहाड़ीयो में चल रही थी।
सुखों हुये रंग बिरंगे पतों का बिस्तर विछा था ,
कुदरत धूप  की सफ़ेद औड़नी औड़ कर सो रह थी,
बृक्ष भी खर्राटे भर रहे थे ।
हमारी पैरों की आहट ने उन को जगा दिया ,
वह उठे और प्यार से बोले 
तम कौन हो कहाँ से आए हो
हम ने कहा “हम सद्गुरू के बच्चे हैं”
एक संदेशा लेकर आए हैं 
हम को भी अपने जैसा सुंदर बना दो।

शुक्रिया





















आप का ,शुक्रिया आप का 
पलकों में बिठाना था , दिल में बसा लिया ।
शुक्रिया आप का ................
बहते थे अश्रु दिन रात ,हँसना सीखा दिया ।
शुक्रिया आप का ................
 प्यासी  थी सदीयौं से मैं , सागर मिला दिया ।
शुक्रिया आप का ...................
भटकी थी राहों मे मैं ,मंज़िल दिखा दिया ।
शुक्रिया आप का ....................
ज़रा था इस धरा का , सीने से लगा लिया ।
शुक्रिया आप का ...................
पलकों पे बिठाना था दिल में बसा लिया
शुक्रिया आप का,  शुक्रिया  आप का ।

चाहत


घना सा जंगल हो 
पतों की सरसराहट हो 
चाँदनी रात हो 
तारों की बारात हो 
झरनो का संगीत हो 
फूलों की बारिश हो 
बाँसुरी  की धुन हो 
बस तेरा मेरा साथ हो 
हम अपने में इतना मस्त हों 
कि दुनीया की ख़बर न हो 
बस तेरा मेरा साथ हो ।

Sunday, November 27, 2016

एक ही सत्य





सब के दिलों मे तू धड़कता है
सब की रगों मे तू रेंगता है 
हर एक की साँस मे तू बसता है 
बन कर लाल ख़ून तू बहता है 
हर रगं मे तू रहता है।
फिर यह रंगो की लड़ाई क्यों 
सभी ढुंढते है तुझको कयों
सभी के साथ तो तू रहता है।
तेरे नाम पर लड़ते हे सभी कयों
एक ही "ऊँ" मै तु समाया है
आमीन,एकम कार,अल्लाह।
हिन्दु मुस्लिम सिख ईसाइ
यह बिखरे नाम कयों
सब के दिलो -----
सब की रगों-------
इन फूलों की महक मे तू महकता है 
इन पौधों व वृक्षों मे तू झूमता है 
इन बारीश की बुंदो मे तू बरसता है
सूरज की किरणों मे तू चमकता है 
चंदा की चाँदनी मे तू बिखरता  है 
यही है एक सत्य कि 
तू एक ही सच्चिदानंद है
फिर यह लड़ाई झगड़े कयों
यह गोला बारूद कयों
यह बिखरी लाशें कयों
तेरे नाम पर यह विवाद कयों
सभी के दिलों मे तो तू धड़कता है 
सभी की रगों मे तो तू रेंगता है 
-----मधुर------