सुखों हुये रंग बिरंगे पतों का बिस्तर विछा था ,
कुदरत धूप की सफ़ेद औड़नी औड़ कर सो रह थी,
बृक्ष भी खर्राटे भर रहे थे ।
हमारी पैरों की आहट ने उन को जगा दिया ,
वह उठे और प्यार से बोले
तम कौन हो कहाँ से आए हो
हम ने कहा “हम सद्गुरू के बच्चे हैं”
एक संदेशा लेकर आए हैं
हम को भी अपने जैसा सुंदर बना दो।
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