Tuesday, October 18, 2016

असीम प्यार




जब याद तेरी मुझे आती है
आँखो मे जल भर आता है 
दिल मे कसक सी होती है 
मन चोरी चोरी रोता है ।
   लाख छिपाने से न छुपता 
   यह नदीयाँ बन कर बहता है।
मिलने की  इच्छा से तेरी 
दिन रात बसेरा करती हुँ 
जब मिलने की घड़ी आती है 
सुध बुध ही खो देती हुँ
   फिर भर कर नीर मैं आँखो मे
   सिसकी सी भरती रहती हुँ ।
   जब याद तेरी------
सब ऋीिषयों का यह कहना है
तुम इस जल थल मे रहते हो
बरसातों में और जाड़ों में
बूँदों को तकती रहती हुँ
मिलने की-------
   माया का जो जाल बिछाया है
   उस मे  ही जकड़ी रहती हुँ
   कांटु ये बंधन जितने भी
   उतनी ही कसती जाती हुँ
  मिलने की --------
जब घिर जाती हुँ तूफ़ानों मे 
तेरी गूंजन मे खो जाती हुँ 
मिलने की------
-------- मधुर-------






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