मेरे सद्गुरू हैं सब से निराले
बाल हैं उनके घुंघराले घुंघराले
पहनते हैं रंग बिरंगे रेशमी शाल
चलते हैं हाथी सी मस्त चाल
आँखें है उनकी दैवी नूर से भरी लाल लाल
बोली है उनकी मोतीयों से माला माल ।
दिल में रहते हैं हमेशा वह मेरे
लुटाते है दिवीयता का भरपूर ख़ज़ाना
हाथ जोड़ कर झुकाते हैं जब सिर आपना
भर देते है सब की आँखों में नीर ।
तरसते हैं सब उनकी एक झलक को
बह धीरे से खिसक जाते हैं
हो जाते हैं आँखों से ओझल
पर रहते हैं हमेशा दिल में समाये
ऐसे ‘Cool’ है मेरे सदगुरु
सारे जग से हैं वह निराले
सपनों में आँख मिचोली करते हैं