पकड़ कर हाथ न छोड़ देना
बीच मे,ले जाओ उस पार।
मिला कर आँख न चुराओ हम से
खो जाने दो इन नशीले नयनो मे।
छुड़ा कर पाँव न भागो हम से
भर लेने दो माँग इन चरणों की धूल से।
न बनो निर्मोही इतने कृष्णा जिसके
वियोग मे राधा तड़पी दिन रात ।
हम तो फूल हैं तुम्हारी माला के
माला मे ही रहने दो
चूम लो और महका दो
अपनी दिवीयता से
-----मधुर------
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