Thursday, June 25, 2015

कृष्णा



पकड़ कर हाथ न छोड़ देना
बीच मे,ले जाओ उस पार।
मिला कर आँख न चुराओ हम से 
खो जाने दो इन नशीले नयनो मे।


छुड़ा कर पाँव न भागो हम से
भर लेने दो माँग इन चरणों की धूल से।
न बनो निर्मोही इतने कृष्णा जिसके
वियोग मे राधा तड़पी दिन रात ।

हम तो फूल हैं तुम्हारी माला के
माला मे ही रहने दो
चूम लो और महका दो
अपनी दिवीयता से




-----मधुर------

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