सागर की लहरें तु ही तुं
चोटी का शिखर ------
पाताल की जड़ ------
माँ की ममता -------
बच्चों की किलकारी ----
भक्त की पुकार ----
चाँद की चाँदनी -----
सूरज की किरणें-----
तारों का टिम टिम करना---
अविष्कारो की खोज -----
गारीब की भूख---
अमीर का इठलाना----
आसमान की नीली छतरी ----
सागर की गहराई-----
धरती की हरीवाल चादर----
अंबर पर उड़ते पक्षी----
धरा पर रेंगता कीड़ा ---
जाड़ों की सर्दी----
गरमी की लुं-----
पतझड के सूखे पत्ते ---
फूलों भरी फुलवारी ----
फिर कियुं छुपे हो
सब के अंदर
बाहर आयो ना
जलवा दिखाये ना
हर प्राणी को
अपने रंग मे रंग जायो ना
जो जकड़े हैं माया के जाल मे
उन्हें आज़ाद कराये ना
----मधुर-----
No comments:
Post a Comment