Poems by Madhur Gupta (मधुर का कविता संग्रह )
Sunday, November 27, 2016
सद्गुरू
जिस ने नवाजी है यह जिंदगी
उस को तो कभी देखा नही
जिस ने सवारी है यह जिंदगी
उस की करती हुँ दिन रात बंदगी
वह जाने या ना जाने उस की परवाह नही
जुड़ी है हर साँस उनकी सासों के साथ
उनकी सांसें भी धड़कती होगी मेरी धड़कनो के साथ
-----मधुर--------
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