बस तना देता है एक फ़ुटबॉल की तरह
जो ठोकर खाती है इधर से उधर
और उधर से इधर
वह इतना खो जाती है दुनिया के खेल में
कि लोग हसंते हैं वाह वाह करते है
मगर वह पिटती ही रहती है ।
जब किसी एक बड़े पंच से कट
जाती है ,सब हवा निकल जाती है
अपना रूप मिटा लेती है ।
और इन खिलाड़ियों से दूर
एक कोने मे सदा के लिये शांत हो जाती है।
यह हालत भी हर इन्सान की है
अंहकार निकल जाने से
वह भी शान्ती का पात्र है जाता है।
----मधुर--------
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