Sunday, November 27, 2016

अंहकार




अंहकार इन्सान को पागल बना देता है
बस तना देता है एक फ़ुटबॉल की तरह
जो ठोकर खाती है इधर से उधर 
और उधर से इधर
वह इतना खो जाती है दुनिया के खेल में
कि लोग हसंते हैं वाह वाह करते है 
मगर वह पिटती ही रहती है ।
जब किसी एक बड़े पंच से कट 
जाती है ,सब हवा निकल जाती है 
अपना रूप मिटा लेती है ।
और इन खिलाड़ियों से दूर 
एक कोने मे सदा के लिये शांत हो जाती है।
यह हालत भी हर इन्सान की है
अंहकार निकल जाने से 
वह भी शान्ती का पात्र है जाता है।
----मधुर--------

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