Tuesday, May 26, 2015

आशा की किरन


चलते चलते उस मुक़ाम पर आ पहुँची हुँ
जहाँ तेरी किरण सी नज़र आने लगी है
एक आशा सी बंध गई है एक उम्मगं सी जग गई है

सपनो की बातें सच मे बदलने लगी हैं,
तेरे तक पहुँचने की एक डोर सी मिल गई है,
डरती हुँ कहीं,
ऐसा ना हो बीच मे ही टूट जाए ये डोर
आ जाए जिदंगी मे कोई ऐसा मोड़
फिर दलदल मे फँस जाऊँ
इस माया मे जकड़ जाऊँ
भूल जाऊँ ,मैं कौन हुँ ,कियुं आई हुँ
कहाँ जाना है।
अब तो बस ऐक ही लगन है,
तेरे तक पहुँच पाऊँ,
इस आवागमन से दूर कही दूर
तेरी ज्योति मे मिल जाऊँ।
----मधुर---------

Monday, May 11, 2015

लड़की

लड़की की दासता
पैदा होती है जब लड़की
आँहें भरता है परिवार
बड़ी होती है जब वह
तो आहें भरता है ज़माना
डोली मे बैठती है तो
आहें भरता है मुहल्ला
यह तो उसकी तक़दीर है
मिलती है फूलों की बगिया
या काँटों भरा आशियाना ।
-----मधुर----

Saturday, May 9, 2015

एक पौदे की दासता


एक माली ने बीज लगाया 
फिर छोड़ गया दुनीया के सहारे
समय बीता। 

बह बीज धरती से बाहर आया
थोड़ा बड़ा हुया 
मगर पनप ना पाया ,रौदां गया
पैरों तले,
एक दिन बारीश की बूँदों ने फिर से
जीवत कर दिया उसे
झुमका रहा हवा के झोंकों से पिटता रहा
मगर उदास अपने माली को याद करता रहा
फिर थोड़ा और बड़ा हुया सँभला,
समया पा कर उस पर कुछ कलियाँ आईं,
मगर खिल न पाईं,
एक दिन अचानक एक नये माली ने
उसे पहचाना,सराहा और प्यार से
सींचने लगा,
पौदे मे ख़ुशी की लहर आ गई
हवायों के संग झूमने लगा
अपनी पहचान पा गया
बंद कलियाँ खिलीं और फूल बन गई
अपनी खशबु सारी कायनात मे बिखरने लगा।
--------मधुर----------

Friday, May 8, 2015

अकेली

अकेली चल रही थी 
क़ाफ़िले से जुड़ गई हुँ,
भागती थी जिन्ह रिश्ते नातों से
उन्हीं की माला का एक मोती बन गई हुँ,
यह तो मै नही जानती यह ठीक है या ग़लत,
वही जाने जिस के हाथ मे है
मेरी ज़िंदगी की संलामत
मुझे फ़िकर काहे का!!!!!!!!
I am just breathing!!!!!!!
-----मधुर-----

Thursday, May 7, 2015

आँसु





हम ने उनकी याद मे आँसु बहा कर

चुनरी भिगो दिया,
बह आये आँसु उड़ाये
बादल बनाये फिर 

छम छम बरसाये
हम को नहलाये।
जय हो प्रभु
----मधुर----

Wednesday, May 6, 2015

ज़िंदगी का सफ़र



हम ज़िंदगी के सफ़र मे यूँही चलते रहे,
कुछ दुख आए कुछ सुख आए 

सब को निपटाते गए ,
कुछ रिश्ते बने कुछ टुटे
उन को भी सैहते गए,
कुछ दोस्त दोस्ती निभाते रहे
कुछ छूट गए ,
छूटने वालों को भूल गए
जो बने रहे उनके साथ
सुहाना सफ़र तय करते गए
------मधुर----------

Tuesday, May 5, 2015

आँखे




लड़की का दिल दिल नही होता दरीया होता है,
जब भर जाता है नैनो से नदीयाँ बन कर बह जाता है।
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छलकते है जो आँखो से
अकसर लोग उन्हे आँसु कहते हैं
समझे जो प्यार की भाषा
वह उसे विरह के मोती कहते हैं।
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सुख में भी छलकती हैं यह आँखे
दुख मे भी नीर बहती हैं यह आँखे
जब प्रभु की याद मे आँसु टपकाती हैं
तो धन्य हो जाती यह आँखे।
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एक अंधेरी सनसनी रात में
सोये थे सब गहरी नींद मे,
आँसु बहाते थे हम
आँसु बहा कर मन हल्का कर के
सोना चाहते थे हम,
आँसु बहा कर मन तो हल्का हो गया
सो फिर भी न सके
क्योंकि तकिया भारी हो गया।
.........मधुर..........


Saturday, May 2, 2015

यह मोती


मैं मर कर भी अपनी ज़िंदगी तुम्हें दे दुं,
मेरी हर धड़कन मे तुम धड़कते हो
मेरी हर साँस मे तुम बसते हो
इसी हर साँस के कारन मै जीवंत हुँ,
यह सिलसिला युं ही चलता रहे 
सहर होने तक,
जब यह सासों की कड़ी टूटे
देखो बिखरने ना पाए यह मोती
तुम्हारी साँसों की लड़ी मे जुड़ जायें
यह मोती,
यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे
सहर होने तक।
------मधुर-----


Friday, May 1, 2015

खोने की चाह

लोग गाते हैं अकसर 'दर्शन दो भगवान'
मै गाती हुं  ' दर्शन न दो भगवान'
मै इसी तड़प मे रहना चाहती हुँ
तुझे पा कर भी खोना चाहती हुँ
पा जाऊँगी तो मर जाऊँगी 
सह ना पाऊँगी 
मैं इस मरने से घबराती हुँ,
इस चाह मे रहना चाहती हुँ
तुझे पा कर भी खोना चाहती हुँ।
 तड़प मे ही तो असली जीना है
पा कर तो मीट जाना है
मै मिटना नही चाहती
मिटने से घबराती हुँ
तुझे पा कर भी खोना चाहती हुँ। 
-----मधुर----