Poems by Madhur Gupta (मधुर का कविता संग्रह )
Wednesday, May 6, 2015
ज़िंदगी का सफ़र
हम ज़िंदगी के सफ़र मे यूँही चलते रहे,
कुछ दुख आए कुछ सुख आए
सब को निपटाते गए ,
कुछ रिश्ते बने कुछ टुटे
उन को भी सैहते गए,
कुछ दोस्त दोस्ती निभाते रहे
कुछ छूट गए ,
छूटने वालों को भूल गए
जो बने रहे उनके साथ
सुहाना सफ़र तय करते गए
------मधुर----------
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