जब भर जाता है नैनो से नदीयाँ बन कर बह जाता है।
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छलकते है जो आँखो से
अकसर लोग उन्हे आँसु कहते हैं
समझे जो प्यार की भाषा
वह उसे विरह के मोती कहते हैं।
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सुख में भी छलकती हैं यह आँखे
दुख मे भी नीर बहती हैं यह आँखे
जब प्रभु की याद मे आँसु टपकाती हैं
तो धन्य हो जाती यह आँखे।
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एक अंधेरी सनसनी रात में
सोये थे सब गहरी नींद मे,
आँसु बहाते थे हम
आँसु बहा कर मन हल्का कर के
सोना चाहते थे हम,
आँसु बहा कर मन तो हल्का हो गया
सो फिर भी न सके
क्योंकि तकिया भारी हो गया।
.........मधुर..........
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