Friday, May 1, 2015

खोने की चाह

लोग गाते हैं अकसर 'दर्शन दो भगवान'
मै गाती हुं  ' दर्शन न दो भगवान'
मै इसी तड़प मे रहना चाहती हुँ
तुझे पा कर भी खोना चाहती हुँ
पा जाऊँगी तो मर जाऊँगी 
सह ना पाऊँगी 
मैं इस मरने से घबराती हुँ,
इस चाह मे रहना चाहती हुँ
तुझे पा कर भी खोना चाहती हुँ।
 तड़प मे ही तो असली जीना है
पा कर तो मीट जाना है
मै मिटना नही चाहती
मिटने से घबराती हुँ
तुझे पा कर भी खोना चाहती हुँ। 
-----मधुर----

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