Saturday, April 25, 2015

तुम मेरे हो

दK,



यह मै नही कहती सृष्टि का कण कण कहता है
तुम मेरे हो बस मेरे ही रहना,
मुझे जाना है उस पार
मेरी उँगली पकड़ कर उस पार ले जाना
जहाँ कोई न हो मै ओर तुम
 तुम मेरे --------------
 पतों की सरसराहट कहती है
फुलों की महक कहती है
तुम मेरे--------------
बन कर मेरी कशती का मलाह
मुझे किनारे तक पहुँचा देना
लगा कर पंख फिर आकाश मे उड़ा देना
जहाँ कोई ना हो मै ओर तुम
तुम मेरे-----------------
सूर्य की रोशनी कहती है
चंदा की चाँदनी कहती है
तुम मेरे------------------

बस एक काम और कर देना
इन प्यासी अखीयों मे सावन की 
झड़ी  बन कर बरसते रहना
तुम मेरे हो मेरे ही रहना---
मधुर 

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