यह मै नही कहती सृष्टि का कण कण कहता है
तुम मेरे हो बस मेरे ही रहना,
मुझे जाना है उस पार
मेरी उँगली पकड़ कर उस पार ले जाना
जहाँ कोई न हो मै ओर तुम
तुम मेरे --------------
पतों की सरसराहट कहती है
फुलों की महक कहती है
तुम मेरे--------------
बन कर मेरी कशती का मलाह
मुझे किनारे तक पहुँचा देना
लगा कर पंख फिर आकाश मे उड़ा देना
जहाँ कोई ना हो मै ओर तुम
तुम मेरे-----------------
सूर्य की रोशनी कहती है
चंदा की चाँदनी कहती है
तुम मेरे------------------
बस एक काम और कर देना
इन प्यासी अखीयों मे सावन की
झड़ी बन कर बरसते रहना
तुम मेरे हो मेरे ही रहना---
मधुर
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