Wednesday, April 15, 2015

फुलों और तितलियों की गुफ़्तगू


फुलों ने तितलियों को आपने उपर
मँडराते हुये कहा

क्यूँ मँडराती हो उपर मेरे

आ जायो पास मेरे
चूम लो मुझ को,
छुने दो मेरे को तुम्हारे नन्हें पाँव
हम मिल कर इस बगिया की
शान बड़ा दें।
किसी की नज़रों का फँसाना बन जाये।
कब तक मंडरायोगी उपर मेरे
मेरे पास आ कर मुझे छु कर
मुझे अमर कर दो।
मै किसी के हाथ से टूटना नही चाहता
टूट कर बिखरना नही चाहता
मै तुम से मिल कर एक हो
जाना चाहता हुँ
महकाना चाहता हुँ अपनी खशबु
इस बगिया मे,
अकेला पड़ जाऊगा तो
मर जाऊँगा
मुझ इस मरने से बचा लो
मेरे संग रास रचा लो
इस नीले अम्बर पर हमारे
प्यार की अमर
कहानी लिख दो।
मधुर!

No comments:

Post a Comment