
ग-------गगन
व-------वायु
आ------अग्नि
न--------नीर
इन पाँच तत्वों के मेल को भगवान कहते है।
भगवान वह है,----जो हर सुबह अपनी सुनहरी किरणों के साथ सूर्या बन कर
निकलता है अपनी रोशनी और तपश से सब को नया जीवन देता है।
भगवान वह है,----जो रात को चन्दा बन कर तारों के संग रास रचाता है। कभी घटता है
कभी बड़ता है। आँख मिचोली करता है।
भगवान वह है,----जो फुलों मे रंग भरता है। फिर मीठी मीठी ख़ुशबुओं के साथ महकता है।
जो पक्षी बन कर आसमान की ऊँचाइयों को छुता है।फिर धरा पर आ कर चोगा
चुगता है।
भगवान वह है, ----जो नदीयाँ बन कर टेडा मेडा चलता है। फिर सागर मे मिल कर सागर ही बन जाता
है। जो वृक्ष बन कर अटल खड़ा रहता है। कभी पिला कभी लाल कभी हरा हो
जाता है। कभी बिलकुल नग्न , फिर बर्फ़ के नीचे दब जाता है। नही घबराता
वह,बसंत आने पर फिर से फुलों और पतों के संग झूमने लगता है।
भगवान वह है,----जो हर इन्सान के अंदर टर टर करता फिर भी सुनाई नही देता। हर माँ की कोख से
शिशु बन कर आता है, फिर मॉ के ही स्तनों से दूध की धारा बन कर उस का पालन
पोषण करता है।
भगवान वह है,----जो हमारे अंदर भी है बाहर भी है। सृीशटी के कण कण मे समाया हुया है।मगर
अदृश्य है।
सब भगवान को ढुंडते है। कैसे उस तक पहुँचे?
पाना है अगर उस को एक ही तरीक़ा है। बाहर के पट बंद कर के अदंर के पट खोलो।
कर के बंद आँखे अंत करण मे खो जायो , गहरी शांति का अनुभव कर लो।
जब आँखो से दो बूँद पानी टपक जाये तो समझो भगवान का आप से मिलन हो गया।
मधुर
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