Poems by Madhur Gupta (मधुर का कविता संग्रह )
Wednesday, April 15, 2015
तुम् ही हो
तेरे पहलु मे इस क़दर बैठुं
कि किसी को ख़बर ना हो
किसी की बात छोड़ो
मुझे भी एहसास न हो
कि मै नही बस तुम ही हो।
------------मधुर
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